भारतीय क्रिकेट में एक से एक महान बल्लेबाज हुए हैं। इन दिग्गज बल्लेबाजों के बीच पूर्व कप्तान और बेहतरीन बल्लेबाज राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) का नाम भी शुमार रहा है। ‘द वॉल’ के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ का एक बल्लेबाज के तौर पर बहुत ही प्रभावशाली करियर रहा है। द्रविड़ ने 164 टेस्ट मैचों में की 286 इनिंग्स में 52.3 के औसत से 13288 रन बनाए हैं, जिसमें 36 शतक और 63 अर्धशतक शामिल है | ये आंकड़े बताते हैं कि राहुल का टेस्ट और भारतीय क्रिकेट में कितना शानदार योगदान रहा है |
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राहुल द्रविड़ के पास है जबरदस्त क्रिकेटिंग माइंड
राहुल द्रविड़ ने बल्लेबाज के तौर पर काफी शानदार सफलता हासिल की, साथ ही उनके पास एक गजब का क्रिकेटिंग माइंड है। शोर-शराबे,प्रचार-प्रसार से दूर द्रविड़ अपने अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर में संन्यास के बाद बतौर कोच अलग अलग स्तर पर काम कर चुके हैं।
संन्यास के बाद इस स्टाइलिश बल्लेबाज ने भारत-ए, भारत अंडर-19 टीम के लिए काम करते हुए काफी प्रभाव छोड़ा। उनके मार्गदर्शन में भारत-ए और भारत की अंडर-19 टीम दोनों ने काफी सफलता हासिल की। द्रविड़ की रेखरेख में भारत के कई युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा सामने आई और वो राष्ट्रीय टीम में शामिल किए गए ।
भारत-ए और अंडर-19 टीम की सफलता के बाद बने सीनियर टीम के कोच
खिलाड़ियों में छुपी प्रतिभा को सामने लाने की कला राहुल द्रविड़ बखूबी जानते हैं, इसी वजह से उन्हें भारतीय सीनियर टीम के साथ मुख्य कोच के रूप में जोड़ने की मांगें उठती रही और आखिरकार पिछले साल नवंबर में टी20 विश्व कप में टीम इंडिया के बेहद ख़राब प्रदर्शन के बाद वो रवि शास्त्री की जगह भारतीय क्रिकेट टीम (Team India) के हेड कोच बने।
रवि शास्त्री के कार्यकाल के पूरा होने के बाद जब राहुल द्रविड़ ने कमान संभाली तो क्रिकेट फैंस से लेकर क्रिकेट पंडित तक भारतीय टीम को खतरनाक मानने लगे। लेकिन अपने 8 महीनों के कोचिंग कार्यकाल में द्रविड़ में वो बात बिल्कुल भी नजर नहीं आयी, जो वो जूनियर टीम के साथ दिखा चुके थे
बतौर कोच द्रविड़ में नहीं दिख रही है खास बात
अपने कोचिंग कार्यकाल में द्रविड़ को भले ही भारत में कुछ सफलता मिली है, लेकिन इस साल के शुरुआत में विदेशी जमीं पर दक्षिण अफ्रीका (India vs South Africa) की युवा अनुभवहीन टीम ने टीम इंडिया को आसानी से मात दी, तो अब इंग्लैंड ने पांचवें और अंतिम टेस्ट मैच में भारत को 7 विकेट से हराकर इंग्लैंड में 15 साल के बाद टेस्ट सीरीज जीतने के सपने को चूर-चूर कर दिया।
अब सवाल ये खड़ा होता है कि, आखिर राहुल द्रविड़ बतौर कोच क्यों कामयाब नहीं हो पा रहे हैं? अपनी क्रिकेटिंग समझ के लिए पहचाने जाने वाले द्रविड़ कैसे मात खा रहे हैं? ये वाकई में खुद द्रविड़ के लिए चिंता का विषय है।
क्या द्रविड़ की डिफेसिंव स्ट्रेटेजी बन रही है वजह?
द्रविड़ बतौर कोच क्यों फ्लॉप हो रहे हैं, इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करें तो इसमें उनकी डिफेंसिव रणनीति को बड़ी वजह माना जा सकता है। भारत में तो टीम ने द्रविड़ की कोचिंग में अब तक कोई टेस्ट मैच नहीं हारा, लेकिन भारत से बाहर उन्हें 3 में से 3 टेस्ट मैच गंवाने पड़े हैं। इस दौरान उनकी बचाव की रणनीति प्रमुख कारण रही है।
द्रविड़ ने अपने करियर में भले ही रनों का अंबार लगाया हो लेकिन वो धीमी और रक्षात्मक बल्लेबाजी करते थे | उनका स्वाभाव भी बहुत शांत है | ये बड़ी वजह है कि वो खिलाड़ियों में उस तरह का जोश नहीं भर पा रहे जैसे उनके पूर्ववर्ती कोच रवि शास्त्री किया करते थे |
इंग्लैंड (India vs England) के खिलाफ एजबेस्टन में मिली हार के बाद खुद मुख्य कोच ने टीम की कमजोरी बतायी, जिसमें उनका मानना है कि टीम इंडिया ना तो टेस्ट मैच की तीसरी पारी में अच्छी बल्लेबाजी कर पा रही है और ना ही चौथी पारी में गेंदबाजी अच्छी हो रही है। द्रविड़ के अनुसार टीम की असफलता में ये कमी जिम्मेदार हैं। इसके अलावा टीम के चयन में भी खामियां रही हैं जिसका परिणाम हार के रूप में सामने आ रहा है |
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सही मायनों में तो भारत के बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों में वो आक्रमकता नहीं दिख रही है, जो रवि शास्त्री के कोचिंग कार्यकाल में दिख रही थी। भारत ने रवि शास्त्री (Ravi Shastri) के अटेकिंग अप्रोच के बूते इसी सीरीज में इंग्लैंड को 2 टेस्ट मैचों में मात दी थी, तो वहीं ऑस्ट्रेलिया में उन्हें दो बार सीरीज में मात दी। लेकिन द्रविड़ अपने खिलाड़ियों को आक्रामक खेल के लिए प्रेरित नहीं कर पा रहे हैं, बतौर कोच विदेशी सरजमीं पर फ्लॉप होने का ये सबसे प्रमुख कारण माना जा सकता है।
लिहाजा अब राहुल द्रविड़ को SENA देशों (साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया) में जीतने के लिए आक्रमक रवैया अपनाना होगा, तभी बात बनने वाली है।